जनभागीदारी से ही झारखण्ड का समग्र विकास संभव
गुमला: मुख्यमंत्री श्री रघुवर दास ने कहा कि अपने पैरों पर खड़ा होना, स्वावलंबी होना किसे कहते हैं यह सरिता देवी से सीखा जा सकता है जिन्होंने 2011 में गरीबी के खिलाफ मुहिम छेड़ी और आज 4 से 5 हजार रुपये प्रतिमाह अतिरिक्त कमा रही हैं। मुख्यमंत्री ने गुमला में मुर्गीपालन का कारोबार कर रही महिलाओं की तारीफ करते हुए कहा कि इनके प्रयास से इस गांव में कई महिलायें मुर्गी पालन कर स्वावलंबी बन रही हैं। मुख्यमंत्री मंगलवार को गुमला के रायडीह प्रखण्ड के सिलम गांव में गुमला ग्रामीण पोल्ट्री सहकारी समिति लिमिटेड द्वारा किये जा रहे मुर्गी पालन के कार्यों का निरीक्षण कर रहे थे। इस अवसर पर उन्होंने दाना उत्पादन केन्द्र, सिलम का भी निरीक्षण किया।
मुख्यमंत्री श्री दास ने महिलाओं से कहा कि मुर्गी पालन के साथ-साथ अण्डा उत्पादन का भी कार्य करें। सरकार प्रत्येक समूह को अण्डा उत्पादन हेतु 4 लाख रुपये एवं शेड निर्माण के लिए 60 हजार रुपये दे रही है। सरकार मिड डे मिल में बच्चों को देने के लिए सभी अण्डों को खरीदेगी। इससे कुपोषण से भी मुक्ति मिलेगी। उन्होंने कहा कि 2022 तक राज्य को गरीबी से मुक्त करने का प्रयास किया जा रहा है। सरकार झारखण्ड को विकसित राज्यों की श्रेणी में लाने हेतु लगातार प्रयास कर रही हैं। राज्य के 32 हजार गांवों में से 29667 गांवों में विलेज को- ओर्डिनेटर नियुक्त किये जा चुके हैं, जो 20 जनवरी तक अपने गांवों में गरीब परिवारों को चिन्हित करेगी। सरकार उनकी गरीबी दूर करने हेतु उन्हें रोजगार प्रदान करायेगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार महिला स्वयं सहायता समूहों द्वारा निर्मित कंबल, चादर एवं स्कूल ड्रेस को झारक्राफ्ट के माध्यम से खरीदेगी ताकि महिलाएं और अधिक स्वावलंबी बने। सिलम गांव की महिलाओं को सरकार सिलाई मशीन देगी ताकि वे स्कूल ड्रेस बनाकर कर झारक्राफ्ट को दें और आर्थिक रूप से मजबूत हो।
“आदिवासी बाहुल्य गांवों में आदिवासी विकास समिति बनेगी तथा अन्य क्षेत्रों में ग्राम विकास समिति। ये समितियां गांवों में होने वाले विकास कार्यों की रूप रेखा तय करेगी, सरकार सीधे उनके खातों में पैसा देगी। गांव को समृद्धशाली, स्वावलंबी बनाना है। गांव समृद्धशाली व स्वावलंबी होगा तभी राज्य विकसित होगा।